समीरा ने आज कई दिनों के बाद फेसबुक खोला था। वह पढ़ाई में अच्छी थी इसीलिए उसने अपने स्मार्ट फोन से दूरी बना ली थी। समीरा ने जैसे ही फेसबुक खोला वह चकित रह गयी फेसबुक खोला तो उसने देखा की 35-40 फ्रेंड रिक्वेस्ट पेंडिंग पड़ी थीं, उसने एक सरसरी निगाह से सबको देखना शुरू कर दिया।
अचानक एक लड़के के प्रोफ़ाइल पर समीरा की नजर रुक गई, उसका नाम कबीर शर्मा था, जो उसकी प्रोफाइल पिक्चर में हैंडसम लग रहा था। उत्सुकतावश, वह कबीर के बारे में और जानने के लिए उसका प्रोफाइल खोलती है। लड़के की टाइमलाइन पर एक से एक बेहतरीन रोमांटिक कविताएँ थीं, जिन्हें पढ़कर समीरा अपने को रोक नहीं पाई और उसने कबीर के अनुरोध को स्वीकार कर लिया।

उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट को स्वीकार किए हुए कुछ ही सेकंड हुए होंगे, कि समीरा के फोन पर मैसेंजर नोटिफिकेशन आया, उसने देखा कि वह कबीर का मैसेज था। उसने लिखा था “बहुत बहुत धन्यवाद”, वह समझ गई कि कबीर ने धन्यवाद क्यों कहा, फिर भी उसके साथ मस्ती करने के लिए समीरा ने जवाब दिया, “किस लिए धन्यवाद?”
तुरंत जवाब आया ” मेरी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करने के लिये “। समीरा ने कोई जवाब नहीं दिया, बस एक स्माइली वाला स्टीकर भेजा और मैसेंजर बंद कर दिया। वो नहीं चाहती थी की एक ही दिन मे किसी अनजान से इतना ज्यादा खुल जाये, और फिर वो घर के कामों मे व्यस्त हो गयी।
अगले दिन उसने अपना फेसबुक खोला और देखा कि कबीर के कुछ नए अपठित संदेश थे। कबीर ने उन्हें कई रोमांटिक कविताएँ भेजी थीं, उन्होंने उन्हें बड़े चाव से पढ़ा, उन्होंने जवाब में फिर से एक स्माइली स्टिकर भेजा। थोड़ी देर बाद कबीर का जवाब आया, वह अपने शौक के बारे में पूछ रहा था।
समीरा ने अपना संक्षिप्त परिचय दिया। उसका परिचय पढ़ने के बाद, कबीर ने उसे अपने बारे में भी बताया, कि वह एमबीए कर रहा है और जल्द ही उसे नौकरी मिल जाएगी। और फिर इस तरह शुरू हुई दोनों के बीच बातचीत।
अब समीरा-कबीर की दोस्ती को करीब डेढ़ महीने हो चुके थे, अब वह हर वक्त कबीर के मैसेज का इंतजार कर रही थी। जिस दिन वह कबीर से बात नहीं कर पाई, उसे अधूरापन सा लगने लगा। कबीर उसकी जिंदगी की आदत बनता जा रहा था। एक रात फिर समीरा-कबीर की चैटिंग चल रही थी, बातचीत करीब-करीब खत्म होने के बाद कबीर ने समीरा से कहा “कब तक हम सिर्फ फेसबुक पर ऐसे ही बातें करते रहेंगे, मैं तुमसे मिलना चाहता हूं, प्लीज कल मिलो”
समीरा खुद भी कबीर से मिलना चाहती थी और एक तरह से उसने उसके दिल की बात कह दी थी लेकिन न जाने क्यों उससे मिलने से डरती थी शायद अंजान होने से डरती थी समीरा ने भी कबीर से यही कहा, “अरे यार, इसलिए मैं कह रहा हूं कि हमें मिलना चाहिए, तभी हम एक-दूसरे को और जान पाएंगे”
कबीर ने उससे मिलने की जिद करते हुए समझाते हुए कहा, “ठीक है ठीक है बताओ कहां मिलना है, लेकिन मैं वहां ज्यादा देर तक नहीं रहूंगा।”समीरा ने बड़ी मुश्किल से उसे हाँ कहा, “ठीक है, जब तक तुम चाहो तब तक रुको” कबीर ने उससे अपनी खुशी छिपाते हुए कहा, और फिर वह समीरा को उस जगह के बारे में बताने लगा जहाँ उसे आना था।
अगली शाम करीब 6 बजे शहर के कोने में एक सुनसान जगह में एक पार्क, जहां सिर्फ प्रेमी जाना पसंद करते थे, शायद एकांत के कारण कबीर ने समीरा को वहां बुलाया, वह तय समय पर वहां पहुंच गई , कबीर पार्क के बाहर अपनी पीठ के साथ गेट के पास अपनी कार के पास खड़ा दिखाई दे रहा था, उसे पहली बार सामने देखकर समीरा बस उसे देखती रही, वह उसकी तस्वीरों से ज्यादा स्मार्ट और हैंडसम था।
समीरा को अपनी ओर देखते हुए कबीर ने उसे अपने पास आने का इशारा किया, उसके हावभाव को समझकर समीरा उसके पास आई, मुस्कुराई और बोली, “हां, अब बताओ तुमने मुझे यहां क्यों बुलाया”।
“अब सड़क पर सब कुछ यहीं करोगे, चलो गाड़ी में बैठकर बात करते हैं” – कबीर ने कहा
तभी कबीर ने कार का पिछला गेट खोला, उसे कार में बैठने का इशारा करते हुए समीरा उसकी बात सुनकर मुस्कुराई और कार में बैठने के लिए आगे बढ़ी, जैसे ही समीरा ने कार में बैठने के लिए अपना पैर अंदर की ओर रखा, उसने वहां देखा पिछली सीट पर पहले से बैठा एक आदमी था।
वह आदमी कहीं से भी सभ्य नहीं दिख रहा था, समीरा की चलती-फिरती सीढ़ियाँ रुक गईं, वह मुड़कर कबीर से पूछने वाली थी कि यह कौन है, तभी उस आदमी ने उसका हाथ पकड़कर अंदर खींच लिया और बाहर से कबीर ने उसे अंदर धकेल दिया

ये सब इतनी तेजी से हुआ कि वो ठीक भी नहीं हो पाई और फिर अंदर बैठे शख्स ने उसका मुंह जोर से दबा दिया ताकि वो चीख न सके और कबीर ने उसका हाथ पकड़ लिया, अब वो न हिल सकती थी और न ही चिल्ला सकती थी और फिर एक आदमी कार से दूर खड़ा हो गया. कार में बैठ गया और ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और कार स्टार्ट कर आगे की रफ्तार तेज कर दी।
पीछे बैठा आदमी जिसने समीरा का मुँह दबाकर रखा था, वो हँसते हुए कबीर से बोला ” वाह भाई… आज तो मज़ा ही आ गया… क्या तगड़े माल पर हाँथ साफ़ किया है…
उसकी यह बात सुनते ही , कबीर मुँह ऊपर उठा ठहाके लगाते हुए ज़ोर से हँसा। कबीर को इस तरह हँसता हुआ देखकर ऐसा लग रहा था, मानो कि कोई भूखा भेड़िया पँजे मे अपने शिकार को दबोच के हँस रहा हो।
और वो कार, तेज़ी से शहर के बदनाम इलाके की तरफ दौड़ी जा रही थी, जहाँ ज़िस्म के लिए भूखे भेड़िये नए शिकार का इंतज़ार कर रहे थे।
समीरा की ये कहानी, उन लड़कियों के लिए सबक है, जो सोशल मीडिया पर अनजान लोगों से दोस्ती कर लेती है और जाने अनजाने अपनी जिंदगी को दाँव पर लगा लेती हैं।
Disclaimer: हम ये नहीं कहते की सोशल मीडिया पर सभी या ज़्यादातर लोग कबीर जैसे ही होते हैं, पर इस तरह के लोगों के चेहरे भी आम चेहरों के जैसे ही होते हैं।
हमारी टीम की तरफ से यह गुज़ारिश और सलाह है, कृपया किसी भी अनजान व्यक्ति से सोशल मीडिया पर दोस्ती शुरू करने से पहले सतर्क रहें।
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